गौरीकुंड तक सुरक्षित पैदल यात्रा के लिए सोन प्रयाग से मंदाकिनी नदी के ऊपरी हिस्से तक पैदल मार्ग का निर्माण कार्य फिर शुरू हो गया है। मूर्ति पूजा के रहस्यों के चलते पिछले कई दिनों से काम बंद था। 1.5 किमी लंबे और 1.8 मीटर चौड़े इस मार्ग पर रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने के लिए मंदाकिनी नदी पर दो पुल भी प्रस्तावित हैं।
बाईपास के बनने से यात्रियों को भूस्खलन जोन से निजात मिल जाएगी। बीते 31 जुलाई को अतिवृष्टि के बाद से रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर सोनप्रयाग से लगभग एक किलोमीटर आगे भारी भूस्खलन हो रहा है। यहां पहाड़ी का डेढ़ सौ मीटर हिस्सा निरंतर दरक रहा है, जिससे हाईवे भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है। साथ ही सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच हाईवे तीन और स्थानों पर भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त है।
नेशनल हाइवे द्वारा प्रभावित स्थानों पर पुनर्निर्माण कार्य चल रहा है, पर हालात अच्छे नहीं हैं। वहीं, बीते 9 सितंबर को भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में केदारनाथ से लौट रहे पांच यात्रियों की मलबे में दबने से मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद, एनएच को प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा के इंतजाम के निर्देश दिए गए थे, पर हालात अब भी पूर्ववत हैं।
दूसरी तरफ भूस्खलन जोन से निजात पाने के लिए लोक निर्माण विभाग ने सोनप्रयाग बाजार से मंदाकिनी नदी के दाईं तरफ से पैदल बाईपास का निर्माण शुरू किया था। लगभग दस दिन तक पैदल बाईपास का कार्य जोरों पर चला। विभाग ने बाईपास निर्माण में 70 मजदूर लगाए थे और लगभग एक किमी तक रास्ता बन गया था। साथ ही एक पुल के दोनों पिलर भी तैयार कर दिए थे, पर केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग द्वारा कार्य पर रोक लगा दी गई, जिसके बाद कार्य बंद कर दिया गया।
दूसरी तरफ भूस्खलन जोन से निजात पाने के लिए लोक निर्माण विभाग ने सोनप्रयाग बाजार से मंदाकिनी नदी के दाईं तरफ से पैदल बाईपास का निर्माण शुरू किया था। लगभग दस दिन तक पैदल बाईपास का कार्य जोरों पर चला। विभाग ने बाईपास निर्माण में 70 मजदूर लगाए थे और लगभग एक किमी तक रास्ता बन गया था। साथ ही एक पुल के दोनों पिलर भी तैयार कर दिए थे, पर केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग द्वारा कार्य पर रोक लगा दी गई, जिसके बाद कार्य बंद कर दिया गया।