पिछले कई सालों से उत्तराखंड में सख्त भूमि कानून की मांग हो रही है। 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी सीएम पुष्कर धामी ने इसके लिए कमेटी भी बनाई थी, लेकिन फिर मामला ठंडे बस्ते में चला गया। वहीं, कल सीएम धामी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस संबंध में कई अहम जानकारियां दीं।
त्रिवेंद्र सरकार में किए गए थे बदलाव
आपको बता दें कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने साल 2017 में भूमि कानून को लेकर काफी बदलाव किए थे। जिसको लेकर सीएम धामी ने कहा कि इन कानूनों में जो बदलाव किए गए, उनके नतीजे सकारात्मक नहीं रहे। 2017 में किए गए बदलावों के अनुसार जो अनुमति शासन स्तर पर मिलनी चाहिए थी, उसे बदलकर जिला स्तर पर कर दिया गया, इसके साथ ही जमीन खरीद की अधिकतम सीमा 12.5 एकड़ की वैधता भी खत्म कर दी गई। ऐसे में इन प्रावधानों की समीक्षा की जा रही है और जरूरत पड़ने पर 2017 में किए गए बदलावों को खत्म किया जा सकता है, ताकि जमीन की बेरोकटोक खरीद-फरोख्त और दुरुपयोग को रोका जा सके।
गलत तरीके से जमीन लेने पर होगी कार्रवाई
सीएम ने कहा कि उत्तराखंड में कोई भी व्यक्ति नगर निगम क्षेत्र से बाहर 250 वर्ग मीटर जमीन बिना अनुमति के खरीद सकता है। लेकिन उनके संज्ञान में आया कि कुछ लोगों ने अपने ही परिवार के सदस्यों के नाम से अलग-अलग जमीन खरीदी है। इसलिए ऐसे लोगों की पहचान की जा रही है और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस तरह से खरीदी गई सभी जमीनें राज्य सरकार में निहित होंगी।
उत्तराखंड में भाजपा लाएगी भूमि कानून
सीएम पुष्कर धामी ने कहा कि राज्य सरकार भूमि कानून और डोमिसाइल को लेकर बेहद संवेदनशील है और अगले बजट सत्र के दौरान उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार भूमि कानून लागू किया जाएगा। जिसके लिए पहले से गठित समिति मसौदा तैयार कर रही है और इसके अनुरूप कानून लाया जाएगा। इस तरह भूमि कानून और डोमिसाइल जैसे संवेदनशील मुद्दे का समाधान भाजपा सरकार ही करेगी। जिसमें सभी पक्षों से बातचीत कर सभी की भावनाओं का सम्मान करते हुए तथा कई विशेषज्ञों से बात करके निर्णय लिया जाएगा।